कैन्सर एक ऐसी बीमारी है जो भारत में ही नही अपितु सारे विश्व भर में तेज़ी से फैल रही है ।इसकी जागरूकता के लिए हर वर्ष 4 फ़रवरी को World cancer day मनाया जाता है ।
कैन्सर क्या होता है ,कैसे और किन्हे होता है ऐसे सारे प्रश्नो के उत्तर देने के लिए जबलपुर से कैन्सर रोग विशेषज्ञ * डॉक्टर श्यामजी रावत* से चर्चा हुई ।उन्होंने बताया कि विश्व भर में कैन्सर के मरीज़ों की संख्या बहुत ही तेज़ी से बड़ती जा रही है जो की एक गम्भीर विषय है ।WHO की २०१८ की रिपोर्ट के अनुसार,दुनिया में १ करोड़ ६० लाख लोगों का कैन्सर इलाज हुआ ।
भारत में यह आँकड़ा ११ लाख था जिसके से ८.५ लाख लोगों की मृत्यु हुई । पिछले २६ सालों में भारत में कैन्सर मरीज़ों की संख्या दुगनी हो हुई है जो की चिंता का विषय है ।
इन सबको जानते हुए समाज में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना ज़रूरी है ।
प्रयास यही हो कि हम कैन्सर को होने ना दे और अगर होता है तो उसे जल्दी ही detect कर सही समय पर इलाज हो ।
WHO की जानकारी अनुसार, कैन्सर मुख्यतः ५ कारण से होता है –
*high body mass index
*lack of physical exercise
*consumption of Tobacco
*consumption of alcohol
*Less consumption of fruits & vegetables
कैन्सर क्या है ??? कैन्सर अनेक प्रकार की बीमारियों का एक समूह है ।हमारा शरीर कोशिकाओं (cells)से निर्मित होता है । इन cells की परिवर्तन की एक प्रक्रिया होती है । cell के भीतर nucleus होता है ,उसके भीतर chromosome और फिर genes होते है ।एक cell का जीवन उसके gene पर आधारित होता है । अगर gene में कोई ख़राबी आ जाए और cell अपने स्वाभाविक कार्य को भूल जाता है तो वह cell अधिक मात्रा में grow होने लगते है ।
इसी अनियंत्रित growth को कैन्सर कहा जाता है ।इसे mutation कहते है। शरीर के जिस अंग में यह mutation होने लगता है उस अंग के आधार पर कैन्सर का नाम होता है ।जैसे
अगर lungs के cells में यह समस्या हो जाए तो lungs cancer कहेंगे ।
कोई भी व्यक्ति कैन्सर के लिए immune नहीं है । यह किसी भी वर्ग ,देश,उम्र के व्यक्ति को हो सकता है ।कई लोगों को लगता है कि परिवार में अगर किसी को कैन्सर है तो उन्हें भी हो जाएगा ,यह सम्पूर्ण सत्य नहीं है ।१० प्रतिशत कैन्सर ऐसे होते है जो genetic होते है,उनके भी टेस्ट के द्वारा जान सकते है कि किसी और सदस्य को होगा या नहीं।
जैसे ब्रेस्ट कैन्सर जेनेटिक होता है ।अगर किसी की माताजी को हो चुका हो,तो उनकी जो बेटी है उन्हें रेगुलर intervals में टेस्ट कराते रहना चाहिए।
कुछ लोग समझते है कि यह बीमारी छूने से भी होती है,लेकिन ऐसा नही है । कैन्सर मरीज़ के साथ सामान्य व्यवहार ही किया जाना चाहिए ।
दिल की बीमारी के बाद,कैन्सर से सबसे अधिक मृत्यु की दर है ।
इसका मुख्य कारण,जागरूकता की कमी | सबसे पहले कैन्सर के कारण को रोकना चाहिए जैसे भारत में तम्बाकू का सेवन । modern lifestyle की वजह से भी कैन्सर होने की आशंका अधिक हो जाती है।
प्लास्टिक का भोजन के लिए सेवन भी हानिकारक है ।
एक और कारण यह भी समझा गया है कि लोग लापरवाही करते है । किसी भ्रम या डर से वे समय पर जाँच नहीं करवाते है ।जब भी लक्षण दिखे हमें सही इलाज पर ध्यान देना चाहिए ।
कई लोग किमो थेरपी या रेडीओ थेरपी के नाम से भी डरते है ।
लेकिन यह थेरपी वैसे ही है जैसे हर बीमारी के लिए विज्ञान द्वारा इलाज निर्मित किए गए है ।
यह थेरपीज़ cell की mutation की प्रक्रिया को कंट्रोल करती है ।जिसके कुछ समय के लिए शरीर में थोड़ी कमजोरी आ जाती है ,बाल झड़ जाते है आदि लेकिन सही समय पर इलाज हो जाए तो चिंता का कोई विषय नहीं है । इसलिए हमें कोई भी जानकारी को स्पष्ट लेना चाहिए,मिथ्या या भ्रम हमारे लिए नुक़सान कारक है |
Globocon 2020 और WHO 2020 की रिपोर्ट अनुसार १ करोड़ ९३ लाख कैन्सर मरीज़ों का इलाज हुआ और क़रीब १ करोड़ लोगों की मृत्यु हुई. ३० % परिवार मध्यम वर्गीय थे । अभी के समय में कैन्सर का एक और कारण देखा गया – stress. स्ट्रेस या चिंता हमारे immune system को कमजोर करता है ।स्ट्रेस hormones को भी disturb कर देता है ।जिससे कैन्सर होने की सम्भावना अधिक रहती है । आजकल डाक्टर्ज़ भी meditation को इलाज के लिए ज़रूरी मानते है । studies बताती है कि जो patients नियमित राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करते है उनके ठीक होने की रिज़ल्ट ज़्यादा है ।
इसलिए हम भी अपने सभी मरीज़ों को सलाह देते है कि सभी इस मेडिटेशन को सीखे और स्वयं को चिंता मुक्त कर एक स्वस्थ जीवन का निर्माण करे ।