36th National Conference on ‘Mind Body Medicine’ at Gyan Sarovar
ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था, मेडिकल विंग के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – “माइंड -बॉडी- मेडिसिन“ . इस सम्मलेन में भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया। दीप प्रज्वलित करके सम्मेलन का उदघाटन सम्पन्न हुआ।
राजयोगिनी दादी जानकी जी ने कहा सबसे पहली जरूरत है कि मन बढ़िया हो। मन के बाद – तन की बात आती है। फिर जीवन खुशनुमा बनता है। हम सभी को तीन बातों का ज्ञान होना चाहिए। पहला – मैं कौन, दूसरा मेरा कौन और तीसरा सबसे मिल जुल कर संसार में रहना है। माइंड , बॉडी और मेडिसिन विषयक इस सम्मेलन में सबसे पहली बात मन की ही आ रही है। मन को जानकार ,विचारों को पॉजिटिव बनाना है और समस्याओं का समाधान करना है। जीवन में धैर्य बना कर रखना है।
शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष और संस्थान के सचिव राजयोगी मृत्युंजय भाई ने अध्यक्षीय प्रवचन के माध्यम से सभी से कहा की हम सभी अल्ला को भगवान् को सलाम करें। बंदों को सलाम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
आपने बताया की शरीर देखने में आता है ,दवा भी देखने में आती है, मगर मन देखने में नहीं आता। क्योंकि मन सूक्षम है। मन को बढ़िया -सकारात्मक बना कर ही बाकी रोगों का इलाज़ करना सहज हो जाएगा। मन को राजयोग के प्रैक्टिस से स्वस्थ बनाया जा सकता है।
शेयरिंग ,केयरिंग एंड इंस्पायरिंग के गुणों को अपना कर हम सभी संसार को श्रेष्ठ बना पाएंगे। ये तीनो खूबियां मन के स्वस्थ होने पर ही आती हैं। अतः सर्वाधिक महतवपूर्ण बात है मन की। मन को समझिये और उसको सुधार लीजिये। सब समस्या सुधर जाएगी।
चिकित्सा प्रभाग के उपाध्यक्ष राजयोगी डॉक्टर प्रताप भाई ने सम्मेलन का थीम स्पस्ट किया। आपने बताया की इस सम्मेलन का लक्ष्य है सभी पधारे हुए डॉक्टर्स को प्रबुद्ध बनाना – सशक्त बनाना। वह तब होगा जब हम सभी सिर्फ रोग का नही बल्कि सम्पूर्ण बीमार का इलाज़ करेंगे। हम सर्वांगीण इलाज़ करेंगे रोगी का। उसके लिए हमें उसका केयर भी करना होगा। उसको शिक्षित भी करना होगा। जीवन के हर क्षेत्र के बारे हम सभी रोगिओं को बताएँगे और समझायेंगे की कैसे वह खुद को सबल बना सकेगा। स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ मन भी आवश्यक है। स्वस्थ मन के लिए योग – ध्यान की जरूरत होगी। वह ध्यान हम यहां सीख कर जाएंगे। हम खुद से प्रारम्भ करेंगे। खुद को सबल बना कर हम विश्व को सबल बना देंगे।
बी के खेल प्रभाग की उपाध्यक्षा राजयोगिनी शशि बहन ने भी आज के अवसर पर कहा की आप सभी आज ज्ञान सरोवर में नहीं – परमात्मा के हृदय में निवास कर रहे हैं। यहां परमात्मा की आशीष बरस रही है। आप यहां पर अनेक मधुर अनुभूतियाँ करेंगे। मैं चाहूंगी की आप सभी यहां अपने अंदर के नकारात्मक विचारों की सर्जरी कर दें सदा के लिए। उसकी विधि यहाँ आपको बतायी जाएगी।
आपको यहां अपनी चेतना में बदलाव लाने की विधि बतायी जाएगी। उसके आधार पर आपको हमेशा ऐसा लगेगा की परमात्मा सदैव आपके साथ ही है।
विश्व विख्यात अवेकनिंग विथ ब्रह्मकुमारीज की प्रवक्ता शिवानी बहन ने कहा की दिया जलाना शुभ होता है। हमने दादी के साथ मिलकर दिया जगाया है। दिया अगर बुझ जाए तो उसको ठीक नहीं समझा जाता। ऐसा क्यों ? दिया का अर्थ है देना। हमारा स्वभाव जैसे ही देने की भावना से भटकेगा – सब अशुभ होने लगेगा। अतः हमें हमेशा देने के बारे में ही सोचन है। एक दिया अगर जग गया तो अनेक दिए जग जाएंगे।
डॉक्टर अर्चना ठाकुर , डायरेक्टर ,जी बी पंत हॉस्पिटल ,दिल्ली ने कहा की मैंने अनेक सम्मेलन देखा -भाग लिया। मगर यह एक अनूठा सम्मेलन है। यहां सिर्फ शरीर के स्वास्थ्य की बात नहीं हो रही है बल्कि मन को भी साथ लेकर चला जा रहा है। यहां सकारात्मक विचारों की बात हो रही है। विचार बढ़िया होंगे तभी मन और तन स्वस्थ रहेगा। आने वाले तीन दोनों में हम यहां से जीवन को उत्तम बनाने के अनेक मार्ग जान का वापस जाएंगे और संसार का भला करेंगे।
शासकीय प्रशासक डॉक्टर मेहता ने भी अपने विचार प्रकट किये। कहा की यहां की तरंगे कितनी सशक्त हैं !! सुबह से शाम तक मैं पूरी तरह लाइट महसूस कर रहा हूँ। अपने कार्य स्थल पर हम इतने समय में थक जाय करते हैं। मगर यहाँ की ऊर्जा काफी बलशाली है। ऊर्जा की ताकत को हम यहां समझ कर जायेगे और जीवन को मधुर बनाएंगे।
चिकित्सा प्रभाग के सचिव राजयोगी बनारसी भाई ने पधारे हुए सभी डॉक्टर्स का हार्दिक स्वागत किया।
चिकित्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष बी के डॉक्टर गिरीश पटेल ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया।
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