Learn New Attitude: Increase your aptitude to deal with stressful situation

दृष्टिकोण का नूतनीकरण: तनावपूर्ण परिस्थिति का सामना करने की शक्ति बढ़ाना

 आज का हमारा विषय है Learn New Attitude(नये Attitude सीखने का) | आज के समय में Attitude और Aptitude ये दो शब्द बहुत प्रयोग होते हैं, Aptitude का अर्थ होता है सीखना, कि कोई नई चीजों को हम सीखे और Attitude है हमारा दृष्टिकोण या जिसको हम वृत्ति कहते हैं।

एक अमीर आदमी था, उसका एक लड़का था, घर में प्रत्येक सुविधायें थीं। वह व्यक्ति अपने उस बच्चे झुग्गी-झोपड़ी में ले गया एक रात बिताने के लिए, बच्चे को यह दिखलाने के लिए कि गरीबी क्या होती है। क्योंकि यह बच्चा इतने पैसे वाली फैमिली में पल रहा है, उसको गरीबी मालुम ही नहीं है। वे दोनों एक दिन और एक रात वहाँ रहे और पुनः अगले दिन वहाँ से वापस आते समय उसके फादर ने बच्चे से पूछा कि तुमने  क्या सीखा? तो क्या बोला होगा बच्चे ने? बच्चे ने बोला कि मैंने यह सीखा कि हम बहुत गरीब हैं। तो फादर ने पूछा क्यों? बच्चे ने उत्तर दिया कि वे लोग आकाश के नीचे सो रहे थे, हमारे पास Artificial Light, Air-condition हैं उन लोगों की लाइट तो तारे और चन्द्रमों थे | हमारे मकान की तो Boundary है लेकिन उनके मकान की Boundary तो अथाह है| हमारा Swimming Pool तो इतना छोटा सा है और उनका तो बहुत बड़ा है(नदी)। तो हमारे पास तो कुछ भी नहीं है, उनकी छत कितनी बड़ी है( सारा आकाश) और हमारी छत तो इतनी है। तो Attitude कहलाता है कि किसी चीज को कैसे अपने जीवन में लेते हैं और देखते हैं, Preparation करते हैं यानि अपने आपको कैसे फील करते हैं। महात्मा गाँधी का कहना था कि “जो भी हम पढ़ें, उसको पचायें (Digest) भी। आप दूसरे को Information तब ही सफलता पूर्वक दे सकते हैं जब उसको आपने अपनी Personality  में उतार लिया हो। मेडिकल साइंस में भी बताया जाता है कि हमारे ब्रेन में भी 2 Side हैं। Left Hemisphere और Right Hemisphere, जो Left Side रहता है यह हमारा Logical ब्रेन रहता है, वह सोचता है, गुणा, भाग, हिसाब करता है, थोड़ी-थोड़ी, छोटी-छोटी चीजें सोचता है, यहाँ जैसे मैं बैठा हूँ Chair को देख रहा हूँ, एक व्यक्ति को देखता हूँ तो मेरा यह Left Side कार्य कर रहा है। हमारा जो Right Side रहता है, वो Emotional ब्रेन रहता है जो Visualize करता है, Dream करता है और सबसे बड़ा रहता है , वो Information को जोड़ता है। आज की दुनिया में क्या हो रहा है कि लोगों का Left Side ज्यादा कार्यरत होता जा रहा है और Right Side कार्य कम कर रहा है, इसलिए जो Information हमें है वो ठीक तरह से Integrate नहीं हो रही है, हमको दोनों ब्रेन से कार्य लेना है, दोनों का बैलन्स रखना है| जिसको कहा गया है कि Left Side मैनेजर और Right Side लीडर इसलिए कहा कि Left Side से मैनेज़ करो और Right Side से Lead करो, यदि हमको भी लीडर बनना है तो हमें Right Side को यूज करना पड़ेगा, सिर्फ मैनेजर बनना है तो Left Side चलेगा, जो है जैसा है मुझे वैसा ही चलाना है, बाकी जो लीडर है वो Motivate करता है लोगों के सामने जाकर मिलता है | पहले मैनेजर क्या करते थे? पीछे के बन्द कमरे में बैठ गए, Air-condition में और बाकी सभी सामने हैं और अभी क्या करते हैं, लीडर सामने आते हैं खुद लोगों को मिलते हैं, इसलिए अभी हमको दोनों का बैलन्स चाहिए Right भी और Left भी| जहाँ किसको भी Motivate करना हो तो उसका तरीका क्या है? अपना Right Hand Use करो और अपने सीधे हाथ से उसके सीधे कंधे को Touch करो तो ये Motivation क्या करता है कि हमारी Right Side की Energy उसकी Right Side को Touch होती है तो वह व्यक्ति जरूर ही Motivate होता है, जीवन के हर पहलू में हमें दोनों ही Side को Use करना है। स्ट्रेस मैनेजमेण्ट का पहला Physical तरीका है कि अपने गर्दन की Muscle को Relaxed रखो, जब कभी भी आप फ्री हो, कार्य करते भी बीच-बीच में अपने को Easy कर दो, Flexible कर दी क्योंकि सूचना मस्तिस्क से गर्दन में पीछे से होती हुई सारे शरीर में जाती है, इससे गर्दन की Tightness कम हो जाती है। 2-3 लम्बी श्वांस लीजिए, बैठे मत रहिए, क्योंकि आजकल भी देखा जा रहा है कि जो लोग कम्प्यूटर से ज्यादा चिपके रहते हैं उनको भी बीमारियों आ रही है, क्यों आती है वह अलग विषय  है, इसलिए बीच-बीच में उठ जाना चाहिए और थोड़ा अपने को ब्रेक देना चाहिए तो आपकी Lateral Thinking पुनः चालू हो जाती है। अब देखा ये गया है कि आज का व्यक्ति अन्दर से खाली होता जा रहा है बाहर से तो वह अपने को बहुत अच्छे से ढके हुए है परन्तु अन्दर से वो खाली होते जा रहा है। इसलिए उस बच्चे ने भी कहा कि हम तो बहुत गरीब हैं क्योंकि बाह्रय सम्पन्नता से हम अपने को ढक कर रखना चाहते हैं। जो हम नहीं है उससे हम स्वयं को ढकना चाहते हैं और जो जितना खाली रहेगा वो व्यक्ति ज्यादा ढकेगा, False Personality बनाने की कोशिश करेगा, मैंने ये किया, मैंने ये किया, ऐसे करेंगे क्योंकि वह अन्दर से खाली है उसको ऐसा Covering नहीं मिलेगा तो उसको समस्या आयेगी परन्तु जो व्यक्ति अन्दर से भरा हुआ है उसको किसी के Approval की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि वो अपने आप में भरपूर है। लोग उससे पूछेंगे कि आप क्या है? आपने कैसे किया? False Personality वाला व्यक्ति बतायेगा, मैं ये हूं, मैं ये हूँ, मेरे अन्दर में ये है, तो यह जो ऊपरी परत रहती हैं ये जीवन में हम तब बनाते हैं जब अन्दर से बिल्कुल खाली रह जाते हैं इसलिए परमात्मा ने हमें ज्ञान दिया है कि अन्दर को ठीक करो, यदि हमारे अन्दर ठीक होगा तो बाहर भी ठीक होगा और इसलिए हमारा जो पहला Approach है स्ट्रेस मैनेजमेण्ट में वो है Inside Out Approach- अन्दर से बाहर जाना, आज दुनिया के जितने भी Approach हैं वो हैं Outsides In, वो बाहर से अन्दर की तरफ चलते हैं, वो बाहर को ठीक करेंगे, इसको ठीक करो, उसको ठीक करो और हम कहेंगे आप अन्दर से ठीक हो जाओगे तो बाहर का भी आपका Projection ठीक हो जायेगा। तो स्ट्रेस मैनेजमेण्ट का पूरा हमारा जो Approach है वो Inside out approach मैं अन्दर से बाहर की तरफ जाऊँ, अन्दर को ठीक करूँ, अपने संस्कारों को ठीक करूँ, अपने Attitude को ठीक करूँ तो मेरा जो बाहर है वह भी ठीक हो जायेगा इसलिए एक लेखक ने कहा है ” ये जरूरी नहीं है कि मेरे सामने क्या है और मेरे पीछे क्या है ” ये छोटी चीजें है, बजाए इसके, जरूरी यह है कि मेरे अन्दर क्या है, यह हमारा है| Inside out approach अन्दर हमारा ठीक है तो दुनियाँ में सब चीजें ठीक होंगी, इसलिए ही जो Art of meditation है या बह्माकुमारीज़ की जो मुख्य Approach है वो यह है कि हम मेडिटेशन द्वारा Art of detachment को अच्छे से सीखें और गीता के 18 अध्याय का भी मुख्य सार यही है, उदाहरण के लिए तोते की कहानी है जिससे हमें डिटेचमेण्ट की शिक्षा मिलती है, डिटेचमेण्ट का अर्थ है कि हम किसी भी चीज को पकड़ें नहीं, यदि हम पकड़ते हैं तो हमको समस्या होती है, डिटेचमेण्ट के अलग-अलग सिद्धान्त हैं, पहला है Unconditional Love सबको देते जाओ और दूसरा है किसी को जज मत कीजिए की राईट क्या है? रांग क्या है? उसको छोड़ दें, जो चीज जैसी है उसको वैसे ही जहाँ तक सम्भव हो स्वीकार करें। Stress Management में एक और बहुत कीमती चीज है Non Critical कि किसी को आप जज मत करो, Criticise मत करो| एक और बात है– Honouring the need and right, सबकी आवश्यकताओं का सम्मान करो, जिसका जैसा Respect है, उसको पैसा देना और हमें किसी को Please करना है तो उस भावना से भी स्ट्रेस हो जाता है ऐसे भी कई उदाहरण हैं, इसकी भी हमें कोई जरूरत नहीं है। आज Fear and Uncertainty Stress के मुख्य कारण है। Fear to loose, Fear for Future, Fear of Death, डर कुछ खो जाने का, भविष्य का, या मौत का, तो ये जो भय का भाव आज ज्यादा बढ़ गया है, इसके कारण ही व्यक्ति चीजों को पकड़ना शुरू करता है और डिटैचमेण्ट छोड़कर अटैच हो जाता है फिर वो घर में लाकर Possession बढ़ाता जाता है और जितना उनको पकड़ता जाता है, उतनी ही उसकी स्ट्रेस लेवल बढ़ता जाता है। इसलिए देखा जाता है कि बीमारी किनको ज्यादा होती है? जिन्हें अपने इमोशन को बाहर निकालने का मौका नहीं मिल पाता है, जो अपने को खोल नहीं पाते हैं, अपने को व्यक्त नहीं कर पाते हैं, इस तरह के लोग फिर अपने दायरों से निकल नहीं पाते और उसी में जीते रहते हैं। एक और अध्ययन भी यहाँ बताना चाहूँगा, कई लोग अपने को एक Idealism में डाल देते हैं, क्या डाल देते है? मेरे को हमेशा प्रोग्रेस करना चाहिए, मैं अपनी कोई भी चीज का डिशकशन पत्नी से, पति से, बच्चों से, किसी से न करुँ ,मेरी पत्नी अच्छी, यानि कि बेस्ट होनी चाहिए, मेरे बच्चे अच्छे होने चाहिए, मुझे जीवन में प्रत्येक सोल्युशन मिलना चाहिए। मेरे में कोई कमी नहीं होना चाहिए, कभी भी कोई गल्ती नहीं करूँ। जैसे अगर मान लीजिए आप चाय पी रहे हैं, आपके ऊपर चाय गिर जायें, कपड़े खराब हो जायें, अगर आपसे गिरी तो आप Guilt Conscious होंगे, यदि दूसरे से गिरी है तो आप कहेंगे क्या है। इतना भी नहीं आता? या फिर कीचड़ लग जाता है तो भी क्या Reaction होगा? परन्तु ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार कि परिस्थितियों में आप बुरा मत माना, बल्कि उसका भी आनन्द लीजिए, यदि आप कहोगे कि मेरे ऊपर ये क्यों आया तो इंडिया में इसका कोई सोल्युशन नहीं है, बच नहीं सकते, गढ्ढे हैं, ये है, वो है, और यदि मैंने अपने को Fix कर दिया की मैं ड्रेस पहनकर निकलू, कोई कीचड़ मुझको टच नहीं होना चाहिए तो समस्या आ जायेगी, कभी तो लगेगी।

एक महिला थी जिसका पति पीएच.डी. था और वो प्रोफेसर था और वो कम्प्यूटर में मास्टर था | उसकी Wife Simple House Wife थी, सिर्फ M.A.  किया हुआ था | जब उस व्यक्ति ने नई कार खरीदी उसने अपनी पत्नी से कहा कि तुम कार चलाना सीख लो तो जब उसकी पत्नी कार चला रही थी,उसने कार पीछे (Reverse) करते हुए गेट से टक्कर मार दी। उसने सोचा कि अब मेरे को कार नहीं मिलेगी और अब कार तो क्या छोटी कार भी नहीं चला सकती, उसका सेल्फ स्टीम इतना डाउन हो गया। अगर टक्कर मारी है तो उसको भी आप Enjoy करो, मैंने कार खरीद की है नई, और स्केच एक भी न लगे, सम्भव ही नहीं है, स्केच लगेगा तो हम अपने आपको Idealism में बाँध लेते हैं, ये ऐसे ही होगा | अगर ऐसे विचार है तो फिर तो टेन्शन आयेगा, इसीलिए चाइनीज (Chinese) में कहावत है जो मशहूर टाओ ने कहा कि “जो भी चीज लचीली (Flexible) है और बहती (Flowing) हुई है वह खुद ही बढ़ती जाती है और यदि वस्तु कड़ी (Rigid) रहती है और रोकती है, वह अपने आप ही खत्म हो जाती है।

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