Rectum cancer

यह कैंसर digestive  system  का पार्ट है | इस विषय पर ज्ञान चर्चा के लिए जबलपुर से कैंसर रोग विशेषज्ञ  डॉक्टर श्यामजी  रावत मौजूद रहे | जब हम भोजन करते है, तो वह पेट में पचने के बाद आँतों में जाता है| छोटी आंत से होकर भोजन बड़ी आंत में स्टोर होता है | बड़ी आंत (Large  intestine ) के  ३ भाग होते है – ascending  colon ,transfer  colon  और descending  colon  फिर rectum (मलाशय ) आता है | जब आँतों में भोजन जाने के बाद मल  बनता है ,तो कुछ toxins  release  हो जाते है, जो सिस्टम को डैमेज करने लगते है, जिससे यह कैंसर होता है | इस कैंसर में आहार का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है | विश्व भर में लंग कैंसर  और ब्रैस्ट  कैंसर के बाद, मलाशय का कैंसर सबसे ज़्यादा  होता है | पहले यह बढ़ी उम्र में होता था लेकिन क्यूंकि अभी सबकी भोजन और जीवन  शैली में परिवर्तन आया है, इसलिए यह छोटी उम्र वालों में भी हो जाता है  | एक तो भोजन इसका कारण है, दूसरा यह अनुवांशिक भी हो सकता है |

यह महिलों और पुरुषों दोनों में होता है | लम्बे समय से पेट दर्द ,शौच के cycle में अचानक परिवर्तन,मल में ब्लड आना इस प्रकार के लक्षण होते है | कैंसर में कोई भी वर्ग या किसी भी उम्र का हो, यह बात समझनी होगी कि कोई भी कैंसर से इम्यून नहीं है | यह किसी को भी हो सकता है | शरीर में कोई भी परिवर्तन इसके सम्बंधित महसूस हो तो हमे जांच करानी  चाहिए |

यह कैंसर होने का कारण गलत भोजन प्रणाली के साथ साथ ,जीवन शैली परिवर्तन,शराब,तम्बाकू,परिवार से भी यह colon  cancer हो सकता है | हमारा भोजन फाइबर युक्त अधिक होना चाहिए | भोजन जितना कम  समय हमारे शरीर में रहे उतना ही अच्छा है |

 भोजन रुकता है तो toxins बनाता है | तली हुई चीज़े,चीज़,बटर,मैदा जैसी चीज़े हमारे आंतो के लिए हानिकारक होता है | जितना खाना प्रोसेस्ड होता है, उतना नुक्सान करता है | बाज़ार में मिलने वाले पैक्ड फ़ूड को भी ख़राब होने से बचने के लिए preservatives डाले जाते है ,इसलिए भोजन में फल और सलाद की मात्रा आशिक होनी चाहिए | रात को भी सोने से २-३ घंटा पहले  भोजन करे | इस कैंसर का भोजन शैली से गहरा सम्बन्ध है | क्यूंकि आज सभी junk  food  ज़्यादा खा रहे है, और गलत समय पैर खा रहे है, इसलिए इस कैंसर के मरीज़ो में वृद्धि होती जा रही है | 

एसिडिटी में लेने वाली दवाई भी लम्बे समय तक प्रयोग करने पर कैंसर कारक हो सकती है | डाइट के साथ व्यायाम भी होना चाहिए | हमारी डाइट वेजीटेरियन हो तो हमारे लिए लाभकारी है |

 जांच के लिए अनेक प्रकार के screening  test  मौजूद है | जैसी स्टेज है, उस अनुसार ट्रीटमेंट दिया जाता है | इसमें डरने की बात नहीं होती है,कैंसर होने पर सर्जरी कर और सही इलाज लेकर इस रोग से मुक्ति  पा सकते है |

डाइट की बात करे, तो तेल में कोलेस्ट्रॉल होता है | तेल रिफाइंड होने की वजह से नुक्सान कर सकता है | हमारे शरीर को good  cholesterol  की ज़रूरत होती है | हम तेल को जब fry  करते है तो उसमे से good  cholestrol कम होने लगता है | बार- बार reuse  किया गया तेल शरीर के लिए slow  poison  का काम करता है | रखा हुआ भोजन भी नहीं करना चाहिए | पेट स्वस्थ्य है तो पूरा शरीर स्वस्थ्य है |

समय प्रति समय हमें तेल को भी बदलते रहना चाहिए | हम जो बाज़ार से सब्ज़ियां या फल खदीदते है उनमे भी chemicals  का प्रयोग होने लगा है, वो भी एक वजह हो  सकती है कैंसर की | इसलिए उन्हें नमक/sodium bicarbonate के घोल में डालकर थोड़ी देर रखे फिर use करना चाहिए |

ब्रह्माकुमारीज़ का एक प्रभाग भी है जो Organic Farming को promote और guide करते है | इसलिए हमे भी जागरूक रहना है, कि हम क्या और कैसे भोजन को ग्रहण कर रहे है |

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